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खरीदी कम, परेशानी हो रही ज्यादा , टोकन तुहर हाथ से नहीं कट पा रहा टोकन, किसानों को हो रही भारी परेशानी, हाथ में धरे रह जाते हैं मोबाइल

by admin on | Nov 28, 2024 07:25 PM

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खरीदी कम, परेशानी हो रही ज्यादा , टोकन तुहर हाथ से नहीं कट पा रहा टोकन, किसानों को हो रही भारी परेशानी, हाथ में धरे रह जाते हैं मोबाइल

छत्तीसगढ़ के धान खरीदी की ग्राउंड रिपोर्टिंग...!

क्या सच में हो रहा ऐसा...इलेक्ट्रॉनिक तराजू में भी चल रहा सूखत के नाम पर अधिक तौल का खेल - सूत्र

खरीदी कम, परेशानी हो रही ज्यादा , टोकन तुहर हाथ से नहीं कट पा रहा टोकन, किसानों को हो रही भारी परेशानी, हाथ में धरे रह जाते हैं मोबाइल...!

इधर बारदाने का भी संकट हुआ शुरू, किसानों पर बनाया जा रहा है 50% बारदाना स्वयं लाने का दबाव ...!

"बालोद संवाददाता"

बालोद -: बालोद जिले में 14 नवंबर से धान खरीदी की जा रही है । अलग-अलग क्षेत्र में कई तरह की परेशानी सामने आ रही है । नई खरीदी व्यवस्था में सेवा सरकारी समिति नहीं ढल पा रहे हैं ना तो किसान। इस बार ऑफलाइन तो टोकन काटा ही नहीं जा रहा है। 100% टोकन ऑनलाइन कर दिया गया है । जिसमें  टोकन तुहर हाथ ऐप से ही काटने का नियम है। जैसा कि नाम है "टोकन तुहर हाथ" ऐप , पर इसमें सर्वर डाउन की समस्या से किसान टोकन काटने के लिए दिनभर परेशान होते हैं।आ रही शिकायतों पर जब हमने ग्राउंड लेवल पर जाकर सोसाइटियों की स्थिति देखी तो हमने भी पाया कि वाकई में इस बार खरीदी में किसानों के सामने कई अड़चनें आ रही है। सोसाइटी में खरीदी सीजन में सन्नाटा पसरा हुआ है। वजह है टोकन का नहीं कट पाना। पहले जैसे खरीदी का माहौल नजर ही नहीं आ रहा है। बड़ी-बड़ी सोसाइटी में भी दिन भर में 3 से 5 या 7 किसान ही पहुंच रहे हैं और बफर लिमिट के अंतर्गत ही कम ही खरीदी की जा रही है। तो दूसरी ओर परिवहन तो अब तक शुरू हुआ ही नहीं है। सांकरा ज सोसाइटी में जब हम पहुंचे तो कई किसान मोबाइल लेकर टोकन काटने का प्रयास कर रहे थे। जैसे ही  घड़ी में सुबह के 9:30 बजे टोकन काटने का ऐप शुरू होता है और किसान मोबाइल लेकर बैठते हैं। पर दो-तीन मिनट के भीतर ही सर्वर डाउन होने से सब ठप हो जाता है। फिर बार-बार उन्हें वही प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है। जो किसान मोबाइल के ज्यादा जानकार नहीं है वह तो इस काम के लिए दूसरे के भरोसे रह जाते हैं। बार-बार सर्वर डाउन पर एक किसान योगेश ने कहा जैसा कि नाम है टोकन तुहर हाथ, हमें टोकन तो मिल ही नहीं रहा पर इस ऐप के चक्कर में दिनभर हाथ में मोबाइल लेकर ही पकड़े बैठे हैं। और कुछ काम कर नहीं पाते है। इससे अच्छा पहले की तरह ही ऑफलाइन टोकन काटा जाना चाहिए। किसानों को काफी परेशानी हो रही है। जगन्नाथपुर के किसान दाऊ  लाल, रोहित देशमुख ने भी कहा पहले सिस्टम से ही खरीदी सही था । बेवजह सरकार ने 100% ऑनलाइन टोकन करके हमारी परेशानी बढ़ा दी है और समिति प्रबंधन का काम कम कर दिया है। किसानों को चिंता है कि वे धान कब बेचेंगे।  कई किसान जब खरीदी शुरू नहीं हुई थी तो उससे पहले ही धान की कटाई मिजाई  कर रखे हैं। पर टोकन नहीं कटवा पाने के कारण बेचने नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में धान की सुरक्षा और चूहों आदि से नुकसान का डर भी सता रहा है। अधिकतर किसान पहले की तरह ही ऑफलाइन टोकन यानी समिति से टोकन कटवाने की मांग कर रहे हैं। पर शासन ने अभी तक इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया है। जबकि हर साल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से टोकन काटा जाता था।


अब 50% बारदाना किसानों से मांग रही प्रबंधन, बनाया जा रहा दबाव

तो नया मामला बारदाने को लेकर आया है। जिले के अधिकतर केंद्रों में बारदाने की संकट खड़ी हुई है। जिससे निपटने के लिए सरकार व्यवस्था बनाने के बजाय किसानों पर जिम्मेदारी डाल रही है। कई सोसाइटियों के बाहर एक सूचना चस्पा कर दिया है। साथ ही मुनादी भी करवाई जा रही है कि अब किसानों को स्वयं धान बेचने के लिए 50% बारदाना लाना पड़ेगा। बदले में उन्हें प्रति बारदाना ₹25 का भुगतान किया जाएगा। ऐसे में किसान चिंता में है कि जिनके पास धान को समिति तक पहुंचाने के लिए फटे पुराने बोरा बोरी होते हैं वह भला कहां से उपयुक्त बारदाना का इंतजाम करेंगे। जबकि बाजार में बारदाने की कीमत 40 से 45 रुपए है। पर सरकार और प्रबंधन समिति प्रति बारदाना ₹25 देने की बात कर रही है। ऐसे में किसानों को दिक्कत हो सकती है। सोमवार को भी जब कई केंद्रों में किसान धान बेचने के लिए पहुंचे तो समिति द्वारा दबाव बनाया गया। कि 50% बारदाना  स्वयं किसान लाए। इस पर कई जगह विरोध की स्थिति भी देखने को मिली। गुरुर सहित अन्य ब्लॉक के कई सोसाइटी में किसानों ने प्रदर्शन किया। तो कुसुमकसा में जनपद सदस्य संजय बैस सहित किसानों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और समिति प्रबंधन ने स्वयं बारदाने की व्यवस्था करने की बात कही। लेकिन कई जगह अभी भी किसानों से ही बारदाने लाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में किसान ऑनलाइन टोकन नहीं कटने से धान बेच नहीं पा रहे है तो दूसरी ओर अगर टोकन कट भी गया है तो उन्हें अब बारदाने की व्यवस्था करने में भी कठिनाई होगी। 


इलेक्ट्रॉनिक तराजू में भी चल रहा सूखत के नाम पर अधिक तौल का खेल 

इस बार पारदर्शिता के नाम पर भी इलेक्ट्रॉनिक तराजू से धान की तौलाई हो रही है। पर इसमें भी सूखत का खेल हर बार की तरह समिति प्रबंधन खेल रही है। कहीं एकरूपता नजर नहीं आ रही है। एक बारदाने में 40 किलो तक धान भरने का नियम है। लेकिन कई सोसाइटियों में 700 तो कहीं 800 ग्राम से लेकर एक किलो तक अतिरिक्त धान भरा जा रहा है। इस सूखत की भरपाई करने के नाम पर अधिक तौलने किसानों से बकायदा सहमति भी ली जा रही है। जबकि हाल ही में खरीदी शुरू होने के पहले जब सोसाइटियों के  कर्मचारियों की हड़ताल हुई थी और हड़ताल को आश्वासन के जरिए स्थगित करवाया गया तो स्पष्ट आदेश हुआ था कि अगर एक महीने के भीतर परिवहन नहीं होता है और सूखत की स्थिति आती है तो उसकी भरपाई समिति को शासन वित्त उपलब्ध कराकर करेगी। फिर भी पहले से ही सोसाइटी प्रबंधन किसानों के हिस्से की धान को ही अतिरिक्त तौलकर सूखत की अग्रिम भरपाई करने में जुटी हुई है। ऐसा लग रहा है कि प्रबंधन को शासन के आश्वासन, उन्हें फंड मिलेगा या नहीं, इस पर  फिलहाल भरोसा नहीं है।

आखिर क्यों इनाम की भी की गई है सोसाइटी में सूचना चस्पा

इधर हर सोसाइटी में एक इनाम से संबंधित सूचना भी चस्पा की गई है। जिसमें गड़बड़ी रोकने के लिए किसानों की सहभागिता की बात कही गई है। जिसमें किसानों से  कहा गया है कि क्या आपके पास ऐसी कोई सूचना या जानकारी है जैसे धान खरीदी केन्द्रो में कोचियों और बिचौलियों द्वारा धान के फर्जी और बोनस या विक्रय का प्रयास, पुराना धान या खराब गुणवत्ता का धान विक्रय, अन्य राज्यो से धान का अवैध रुप से आयात,सहकारी समिति में अवैध विक्रय हेतु धान भण्डारण या परिवहन, यदि हां तो, इसकी सूचना खाद्य विभाग के काल सेन्टर 07749-223950 पर दर्ज कराइए । जाँच के बाद सूचना सही पाये जाने पर सूचना देने वाले को राज्य शासन द्वारा उचित ईनाम दिया जाएगा। सूचना देने वाले का नाम एवं पहचान शासन द्वारा गुप्त रखा जाएगा। आपके सहयोग से हम राज्य में धान खरीदी व्यवस्था को और बेहतर बनाने में सफल होंगे। 

इन  नियमों का भी करना है पालन 

यदि किसान द्वारा स्वयं खरीदी केन्द्र में उपस्थित नहीं हो सकता है तो उसके नामिनी द्वारा खरीदी केन्द्र में उपस्थित होकर बायोमेट्रिक एथेन्टीकेशन के आधार पर धान विक्रय कर सकता है। यदि उपरोक्त आधार पर भी धान विक्रय में कठिनाई आती है तो ट्रस्टेड पर्सन  के द्वारा बायोमेट्रिक एथेन्टीकेशन कर धान विक्रय किया जा सकेगा। खरीदी की अधिकतम सीमा शासन के द्वारा 21 किं. प्रति एकड निर्धारित किया गया है। धान सुबह 7:00 बजे से आवक लिया जाएगा। खरीदी का कार्य प्रत्येक सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होगा।शनिवार, रविवार एवं शासन द्वारा घोषित अवकाश में खरीदी का कार्य बंद रहेगा। पंजीकृत किसानो से ही धान खरीदी की जाएगी।  17 प्रतिशत नमी तक धान की खरीदी की जावेगी। इसके अभाव में धान खरीदी नही की जा सकेगी।  धान बेचने के लिए ऋण पुस्तिकाधारी किसान / परिवार के सदस्य की उपस्थिति अनिवार्य है। कोई भी किसान व्यापारी/कोचियों के माध्यम से धान लाते पाये जाने पर किसान एवं व्यापारी के विरुध्द कड़ी कार्यवाही की जाएगी। किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर समिति प्रबंधक अथवा टोल फ्री नंबर 07749-223950 पर जानकारी दें।

कांग्रेस नेताओं ने लगाया आरोप : कम खरीदने के लिए पारदर्शिता का ढिंढोरा पीट रही भाजपा सरकार 

टोकन कटवाने में भी जहां दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तो वहीं नए-नए नियमों से समिति प्रबंधन और किसान भी हलाकान है। तो इस अव्यवस्था को देखकर कांग्रेसियों ने भाजपा सरकार को भी घेरा है। अरकार के  कांग्रेस नेता संजय प्रकाश चौधरी ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार किसानों का दाना-दाना  खरीदने का झूठा वादा करती है और कई तरह के नियम लाकर किसानों को परेशान कर रही है और उनका पूरा धान नहीं खरीदा जा रहा है। पारदर्शिता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है और नियमों  का पेच फसाकर कम से कम खरीदी करने और किसानों को रकबा समर्पित करने का दबाव भी बनाया जा रहा है।  हालांकि यह कदम सरकार द्वारा बिचौलियों और कोचियों की रोकथाम के लिए किया गया है। पर इस बार कड़े नियम के चलते किसान भी परेशान हो रहे हैं।

भाजपा सरकार ने बदल दिए हैं नियम

वहीं कांग्रेस नेता संजय प्रकाश चौधरी ने कहा कि धान उपार्जन की हमारी सरकार की नीति को भाजपा सरकार ने बदल दिया है। नई नीति के अनुसार 72 घंटे में बफर स्टॉक के उठाव की नीति को बदल दिया है। पहले इस प्रावधान के होने से समितियों के पास ये अधिकार होता था कि वे समय सीमा में उठाव न होने पर चुनौती दे सकें। अब जो बदलाव हुआ है उसके बाद बफर स्टॉक के उठाव की कोई सीमा ही नहीं है। पहले मार्कफेड द्वारा समस्त धान का निपटान 28 फरवरी तक कर देने की बाध्यता रखी गई थी अब इसे बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया गया है। धान मिलिंग के लिए हमारी सरकार ने प्रति क्विंटल 120 रुपए देने का निर्णय लिया था। अब सरकार ने मिलर के लिए 120 रुपए को घटाकर 60 रुपए कर दिया है।

घर जाकर पटवारी कर रहे सत्यापन, तब जाकर होती है खरीदी

किसान के पास धान कितना बचा है, उसका भी सत्यापन हो रहा।  नियम से ही धान खरीदने सरकार पटवारियों के जरिए घर घर जाकर सत्यापन कर रही। जिनके इलाके में उत्पादन कम है वहां ज्यादा दिक्कत नहीं है। लेकिन जिनके क्षेत्र में उत्पादन ज्यादा है वहां किसानों के घर जाकर पटवारी पुष्टि कर रहे हैं । फिर जितना क्षमता उत्पादन हुआ जो बच गया है उसका रकबा समर्पण कराया जा रहा है। सभी उपार्जन केन्द्रों में बायोमैट्रिक डिवाइस के माध्यम से उपार्जन की व्यवस्था की गई है।  खरीदी सीजन में लघु एवं सीमांत कृषकों को अधिकतम 2 टोकन एवं बडे़ कृषकों को 3 टोकन की पात्रता होगी । अरकार सेवा समिति के सचिव श्री चंद्राकर ने कहा कि टोकन कटवाने के दौरान हमारे पास जो किसानों की लिस्ट है उसे हम पटवारी द्वारा सत्यापित भी करवाते हैं। क्योंकि कौन कितना उत्पादन किया है इसकी जानकारी पटवारी के पास होती है। पटवारी के सत्यापन के बाद ही हम किसानों का  धान खरीदते हैं। तो वही अगर किसी किसान के खेत में उत्पादन कम हुआ है और उसका परचा (ऋण पुस्तिका) खाली है तो उनसे रकबा समर्पण भी करवाया जा रहा है। ताकि कोई अन्य किसान उसके रकबे पर धान ना बेच सके। इस तरह से बिचौलियों के हस्तक्षेप को रोकने का भी प्रयास सरकार कर रही है और पूरी पारदर्शिता के साथ धान खरीदी हो रही है।

अधिकारी कर सकते है कभी भी जांच

इस बार राजस्व विभाग ने खेतों में बोए गए धान के अनुसार मोबाइल ऐप के जरिए रकबा का पंजीयन किया है. फर्जी धान खरीदी रोकने के लिए इस पंजीकृत रकबा का औचक निरीक्षण जिला स्तर के अधिकारी करेंगे. रेंडम आधार पर किसी भी खेत का चुनाव कर गिरदावरी का सत्यापन किया जाएगा. इस दौरान यदि धान के बदले अन्य फसल खेत में बोया हुआ पाया गया, तब धान के रकबे में कटौती भी की जाएगी। धान खरीदी को पारदर्शिता के साथ पूर्ण कराने के लिए हर साल गाइडलाइन जारी की जाती है. नये नियमों का भी समावेश किया जाता है. बीते साल ई-पास मशीन से किसानों को अंगूठा लगवाकर धान विक्रेता होने का सत्यापन किया गया था. इस बार रकबा सत्यापन के नियम को लागू किया गया है. दरअसल पंजीयन के दौरान कई किसान अपने धान के रकबा के साथ उन रकबों का भी पंजीयन करा लेते हैं, जिसमें धान के बदले सब्जी या अन्य फसल की बोआई की गई होती है.इसी बढ़े हुए रकबे का फायदा उठाते हुए बीचौलिए किसानों को लालच देकर अपना धान समितियों में खपा लेते हैं.  अब केंद्रों में किसानों के पंजीकृत संख्या के आधार पर अनावारी रिपोर्ट तैयार की जा रही . तहसील स्तर पर कुल धान उपज के रकबा के बाद अनुविभाग और अंत में जिला स्तर पर उपज का आकलन किया जा रहा है।

अफसरों ने बताया कि धान खरीदी के दौरान राजस्व विभाग ने पटवारी के माध्यम से गिरदावरी का मोबाइल ऐप के माध्यम से पंजीयन किया है. यदि इसमें त्रुटि पाई जाती है तो पटवारी पर भी कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह खेतों में जाकर मोबाइल ऐप में दर्ज किए गए पंजीयन के आधार पर धान के रकबे का सत्यापन करेंगे. इस दौरान यदि रकबा बढ़ा हुआ पाया जाता है तो इसे बढ़ाया जाएगा. यदि धान के रकबा के तौर पर अधिक खेत दर्ज है, और मौके पर किसी अन्य फसल की बोआई की गई है. तब इसमें कटौती भी की जाएगी. इस नियम से बिचौलियों द्वारा अवैधानिक तौर पर जो फर्जी धान खपाया जाता है. उस पर भी लगाम लगाया जा सकेगा. बीज निगम से जुड़े किसानों की लिस्ट भी सोसाइटी में चस्पा की गई है।


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