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घरघोड़ा : प्रशासन और सांसद की मिलीभगत से जंगलों की बलि, घरघोड़ा में बारूद का जख़ीरा बनाने की तैयारी?…

by admin on | Mar 4, 2025 11:33 AM

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घरघोड़ा : प्रशासन और सांसद की मिलीभगत से जंगलों की बलि, घरघोड़ा में बारूद का जख़ीरा बनाने की तैयारी?…

घरघोड़ा : प्रशासन और सांसद की मिलीभगत से जंगलों की बलि, घरघोड़ा में बारूद का जख़ीरा बनाने की तैयारी?…

 ग्रामीणों के विरोध को कुचलकर एसडीएम ने किया डायवर्सन, सांसद राधेश्याम राठिया की चुप्पी पर सवाल...

क्या भाजपा सांसद और प्रशासन जवाब देंगे? :

ग्रामीण चिल्लाते रहे, प्रशासन उद्योगपतियों के लिए बिछ गया :

भूमाफियाओं और कंपनी की साजिश से दो बार बेची गई जमीन


रायगढ़ -: जिले के घरघोड़ा तहसील में खतरनाक रसायनों से विस्फोटक बनाने वाली ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव्स कंपनी के लिए प्रशासन ने अपना पूरा तंत्र झोंक दिया है। कंपनी की इतनी जल्दी नहीं थी, जितनी तेजी SDM ने दिखाई। घना जंगल काटने, पर्यावरण को नष्ट करने और ग्रामीणों के विरोध को दबाने में प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह से उद्योगपतियों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है।

ग्रामीण चिल्लाते रहे, प्रशासन उद्योगपतियों के लिए बिछ गया :

घरघोड़ा के डोकरबुड़ा गांव में खदानों के लिए विस्फोटक बनाने वाली कंपनी को 10 एकड़ से अधिक जंगल क्षेत्र की जमीन दे दी गई है। ग्रामीण विरोध करते रहे, लेकिन SDM रमेश मोर ने चुपचाप भूमि का डायवर्सन कर दिया। पटवारी की रिपोर्ट में जंगल की बात छिपाई गई, ताकि कंपनी को फायदा पहुंचाया जा सके। क्या रायगढ़ अब उद्योगपतियों के इशारे पर चलेगा? क्या प्रशासन जनता के बजाय सिर्फ पैसों की भाषा समझता है?

क्या भूमाफियाओं और कंपनी की साजिश से दो बार बेची गई जमीन :

धनबाद की ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव्स ने घरघोड़ा के डोकरबुड़ा में 10 एकड़ जंगल खरीद लिया। इस सौदे में जमीन दलालों और उद्योगपतियों की मिलीभगत थी। एक ही जमीन को दो बार पलटी कर बेचा गया, जिससे सरकार को भी भारी नुकसान हुआ। कंपनी के मालिक आलोक खेतान के लिए प्रतीक वर्मा नाम के व्यक्ति ने जमीन खरीदी। खसरा नंबर 206, 207/1 और 207/2 की रजिस्ट्री और नामांतरण भी गुपचुप तरीके से करवा लिए गए। इतना ही नहीं, रजिस्ट्री में जंगल की स्थिति और पेड़ों की संख्या छिपाई गई, ताकि प्रशासन को भ्रम में रखा जा सके।

भाजपा सांसद राधेश्याम राठिया की चुप्पी संदेहास्पद :

सबसे बड़ा सवाल यह है कि सांसद राधेश्याम राठिया इस पूरे मामले पर चुप क्यों हैं?

  • यह विस्फोटक फैक्ट्री उनके अपने गांव छर्राटांगर के पास लग रही है, लेकिन उन्होंने ग्रामीणों का साथ देने का नहीं सोंचा।
  • चार घंटे तक ग्रामीण SDM कार्यालय में गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई अधिकारी नहीं आया।
  •  क्या सांसद भी उद्योगपतियों के दबाव में हैं?
  •  क्या भाजपा की सरकार पूरी तरह इस सौदे में शामिल है?

क्या रायगढ़ बारूद का केंद्र बन रहा है? :

रायगढ़ पहले से ही तीन विस्फोटक फैक्ट्रियों का गढ़ है, जो कई नियमों को तोड़कर काम कर रही हैं। अब ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव्स बिना अनुमति लिए  बारूद फैक्ट्री लगाने जा रही है।

ग्रामीणों में आक्रोश, आंदोलन की तैयारी : 

अब ग्रामीण खुलकर विरोध में उतर आए हैं।

"हमने सांसद को चुना था, लेकिन वे उद्योगपतियों के पक्ष में खड़े हैं!" – एक ग्रामीण "SDM ने हमारी आपत्तियों को नजरअंदाज किया, क्या प्रशासन उद्योगपतियों का गुलाम बन गया है? - स्थानीय निवासी

क्या भाजपा सांसद और प्रशासन जवाब देंगे? :

रायगढ़ में उद्योगपतियों की समानांतर सरकार चल रही है। क्या सांसद राधेश्याम राठिया और SDM रमेश मोर इस घोटाले पर सफाई देंगे? या फिर प्रशासन केवल धनकुबेरों की सेवा में ही लगा रहेगा?

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