छत्तीसगढ़ Sarguja

सरगुजा में ‘ब्लू इयर’ बीमारी पर वार, सूअरों के लिए तैयार हुई खास वैक्सीन, पहला फील्ड ट्रायल हुआ कामयाब

by admin on | Sep 15, 2024 08:44 AM

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सरगुजा में ‘ब्लू इयर’ बीमारी पर वार, सूअरों के लिए तैयार हुई खास वैक्सीन, पहला फील्ड ट्रायल हुआ कामयाब

अम्बिकापुर -: सूअर में गंभीर संक्रामक बीमारी ‘पोर्सिन रीप्रोडक्टिव एंड रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (Porcine Reproductive and Respiratory Syndrome) से बचाव के लिए एक विशेष वैक्सीन तैयार की गई है। इस वैक्सीन का ट्रायल सरगुजा जिले के शासकीय सूअर पालन केंद्र सकालो में किया जा रहा है, जिसमें अलग-अलग आयु के 50 सूअरों पर इसका परीक्षण हो रहा है। यह बीमारी, जिसे आमतौर पर ‘ब्लू इयर’ (Blue Ear) के नाम से भी जाना जाता है, सूअरों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती है और सूअर पालन उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है।

भारतीय अनुसंधान परिषद की पहल

इस वैक्सीन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल में तैयार किया गया है। वहां के वरिष्ठ विज्ञानी डा. राजू कुमार और डा. फतह सिंह द्वारा सरगुजा के सूअरों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है। प्रारंभिक परीक्षण के बाद सूअरों में वैक्सीन का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया है, और सभी सूअर स्वस्थ हैं। 21 दिन बाद इन्हें बूस्टर डोज दिया जाएगा, जिससे बीमारी से लड़ने की उनकी प्रतिरोधक क्षमता और बढ़ाई जा सकेगी।


बीमारी के लक्षण और इसका असर

पीआरआरएस (Porcine Reproductive and Respiratory Syndrome) एक बेहद संक्रामक बीमारी है, जिसके लक्षणों में शामिल हैं

1. अत्यधिक तेज बुखार
2. भूख में कमी और आंखों से पानी बहना
3. सांस लेने में दिक्कत
4. गर्भपात और नाक से स्राव

यह बीमारी सूअरों में तेजी से फैलती है और सूअर पालकों को बड़े आर्थिक नुकसान की ओर धकेलती है।

वैश्विक स्तर पर बीमारी का फैलाव

इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1987 में अमेरिका में हुई थी, और 1991 में नीदरलैंड में इसके वायरस का पता चला। तब से यह बीमारी यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में फैल चुकी है और अब भारत में भी इसकी उपस्थिति दर्ज की गई है।

वैक्सीन का प्रभावी ट्रायल

राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान द्वारा विकसित यह वैक्सीन वर्तमान में भारत के कुछ प्रमुख केंद्रों पर परीक्षणाधीन है। सरगुजा में चल रहे इस फील्ड ट्रायल के बाद अन्य केंद्रों में भी इसके प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। यदि यह परीक्षण सफल रहते हैं, तो इसे सूअरों में व्यापक रूप से इस्तेमाल के लिए लाया जाएगा।

“डा. सीके मिश्रा, प्रभारी, शासकीय सूअर पालन केंद्र सकालो, सरगुजा, ने बताया कि इस वैक्सीन से सूअरों को बीमारी से बचाने में काफी मदद मिलेगी और इसके सफल परीक्षण से सूअर पालकों को आर्थिक राहत मिल सकेगी।” “पशुधन विकास विभाग अम्बिकापुर के संचालक ने बताया कि शासकीय सूअर फ़ार्म अम्बिकापुर में पीआरआरएस (Porcine Reproductive and Respiratory Syndrome) वैक्सीन ट्रायल चल रहा है। फ़ार्म को सभी एसओपी का पालन करने को निर्देशित किया गया है।”

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