छत्तीसगढ़ Manedragh

राजस्व विभाग का बड़ा कारनामा…बिना कलेक्टर परमिशन के बड़े झाड़ जंगल मद की आबंटित जमीन को किया गया बिक्री, नामांतरण एवं डायवर्सन!

by admin on | Sep 23, 2024 09:25 AM

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राजस्व विभाग का बड़ा कारनामा…बिना कलेक्टर परमिशन के बड़े झाड़ जंगल मद की आबंटित जमीन को किया गया बिक्री, नामांतरण एवं डायवर्सन!

  • पटवारी सहित राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
  • उक्त भूमि पर इंडियन ऑयल का पेट्रोल पंप स्थपित करने की तैयारी… नियमों के तहत उक्त भूमि पर केवल कृषि कार्य ही किया जा सकता हैं
  • क्या कलेक्टर व नगर निवेश कार्यालय में धनबल व राजनीतिक दबाव डालकर एनओसी लेने की जुगत में एक व्यापारी,जबकि 1944-45 और 1954-55 में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज है भूमि

मनेद्रगढ़-: शहर मनेद्रगढ़ से लगे चनवारीडांड में इन दिनों एक निर्माण कार्य प्रारंभ करने से पहले ही काफी चर्चा में बना हुआ है बताया जाता है कि एक स्थानीय व्यापारी जो पूर्व से कुकिंग गैस वितरण का व्यापार करता आ रहा है, उसके द्वारा छोटे-बड़े झाड़ के जंगल वाली भूमि अवैध तरीके से बिना कलेक्टर से परमिशन के रजिस्ट्री व नामांतरण करा लिया गया है और राजस्व के भ्रष्ट अधिकारियों से साथ साठ गाठ कर उक्त भूमि का डायवर्सन भी करा लिया है, उसी भूमि पर भूस्वामी द्वारा द्वारा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड का एक पेट्रोल पंप लगाया जा रहा है पूरी तरह से शासकीय नियमों और माप डंडों के विपरीत विधि विधान को ताक में रखकर राजनीतिक चमक और साा पक्ष के जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारी के आशीर्वाद से मनमाना राशि खर्च कर पैसे की धमक के दम पर वह पेट्रोल पंप निर्माण कार्य को धड़ल्ले से चालू कर रखा है जो पूरी तरह से अवैध बताया जाता है कलेक्टर और नगर निवेश कार्यालय में भी धनबल और राजनीतिक दबाव के चलते अनुमति दिए जाने की प्रक्रिया अंतिम स्तर पर है, अनुमति प्रदान करने की सारी प्रक्रिया में आवेदक के शिकायत को दरकिनार कर लगभग अनुमति जारी करने की सारी तैयारी कर ली गई है जबकि नियमानुसार जिस भूमि का 1944-45 और 1954-55 में बड़े झाड़ और छोटे झाड़ का जंगल मद में यदि दर्ज है तो उसकी अनुमति दिए जाने का प्रावधान बिल्कुल भी नहीं है।
उल्लेखनीय रहे की मनेद्रगढ़ जिला के बनने के बाद मनेद्रगढ़ शहर में जमीन से संबंधित कारोबारीयो के नए-नए कारनामे देखने को मिल रहे हैं भ्रष्ट राजस्व विभाग में जमे पटवारीयो से लेकर अन्य जिम्मेदार अधिकारी भी इन दोनों बहती गंगा में हाथ धोने के फिराक में बैठे हैं और खूब जमकर माल कमा रहे हैं, शासकीय आधिकारी कर्मचारी के अलावा स्थानीय व्यापारी भी किसी से काम नहीं है वह भी पैसे कमाने की होड़ में कोई जमीनों को खरीदने में अपना काला धन खफा रहा है, तो कोई आदिवासियों के नाम पर जमीन लेकर उसमें पेट्रोल पंप लगा रहा है तो कोई पाव-पबिया की जमीन सस्ते दामों में खरीद कर लोगों को ऊंचे दाम में बेचकर भोले भाले नागरिकों को ठगने का काम कर रहा है कही पर अवैध प्लाटिंग का खेल खेला जा रहा है।

बड़े झाड़ के जंगल मत की भूमि में पेट्रोल पंप खोलने की तयारी

सूत्रों से मिलि जानकारी के अनुसार इसी क्रम में मनेद्रगढ़ का एक व्यापारी जो कुकिंग गैस वितरण का कारोबार करता है उसके द्वारा शहर से लगे चनवारी डांड में एक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का एक पेट्रोल पंप लगाया जा रहा है शिकायतकर्ता किशोर अग्रवाल से मिली जानकारी और उनके द्वारा प्रदा दस्तावेजों के अवलोकन के अनुसार यह भूमि 1945 और 55 के रिकॉर्ड में बड़े झाड़ के जंगल बताया गया है इसी बीच यह भूमि किसी को किसी कार्य हेतु आवंटन में दी गई थी, आवंटित भूमि में सिर्फ और सिर्फ कृषि कार्य ही किया जाना था, लेकिन जिस व्यक्ति को यह भूमि आवंटित की गई थी उसने यह भूमि साकेत अग्रवाल को बेच दी थी नियमों के तहत यदि उक्त भूमि को बिक्री किया जाना यदि किसान चाहता है तो वह कलेक्टर से अनुमति लगा अनुमति के अपरांत ही उक्त भूमि की खरीदी बिक्री की जा सकती है, किंतु विक्रेता और साकेत अग्रवाल ने उक्त भूमि की खरीदी में कलेक्टर की परमिशन नहीं ली और रजिस्टर पटवारी तहसीलदार से सेटिंग कर नियमों को ताक में रखकर युक्त भूमि को खरीद लिया, मामला यहीं पर नहीं रुका..जिम्मेदार अधिकारियों ने उसे भूमि को जो बिना कलेक्टर के परमिशन के स्थानांतरित की गई थी उसे डायवर्सन भी कर दिया जबकि डायवर्सन करने वाले अधिकारी को इस बात की आवश्यक रूप से जान क किया जाना था कि आवेदक को उक्त भूमि किसी आदेश के तहत प्राप्त हुई डायवर्सन करने वाले अधिकारी ने उक्त बेहद जरूरी बिंदु को ध्यान न देकर नियमों को शिथिल रखकर भूमिका का डायवर्सन कर दिया जो पूरी तरह से अवैध बताया जाता है…पर दैनिक घटती घटना इस की पुष्टि नही करता है पर जांचा मामले की होनी चाहिए।


पेट्रोल पंप लगाने की अनुमति कैसे मिली?

नेशनल हाईवे के नियमों के मुताबिक बीच सड़क के मध्य से 40 मी की दूरी पर एवं बाईपास में 75 मीटर की दूरी पर कोई निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती लेकिन बताया जाता है कि पेट्रोल पंप लगाने वाले व्यापारी ने अपनी चमक धमक और दबदबे का परिचय देते हुए नेशनल हाईवे के अधिकारियों को भी अपने तलवे चटवा दिए, और महज 12 मीटर की दूरी पर इसे निक प्रदान कर दिया है जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है आखिर नेशनल हाईवे के अधिकारी क्या आंख बंद करके अवलोकन कर रहे थे या अवलोकन का उनका कोई अपना मापदंड नहीं था या फिर ठेकेदार से मोटा राशि लेकर नियमों को तक में रखकर उन्होंने इसे पेट्रोल पंप संचालक की अनुमति दी है, अभी कुछ दिन बाद नेशनल हाईवे 4 लेंन बनाए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहे हैं, उसे स्थिति में या ठेकेदार नेशनल हाईवे के भ्रष्ट अधिकारियों के भ्रष्ट कृत्य का खामियाजा आम जनता से वसूली किए गए टैक्स के पैसे से देकर करना पड़ेगा क्योंकि जब नेशनल हाईवे चौड़ा किया जाएगा तो यह व्यापारी फिर चौड़ीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए का अपना दावा ठोकेगा और इस तरह से शासकीय धन पर डाका डालने का कार्य नेशनल हाईवे के अधिकारी और पेट्रोल पंप संचालक मिलकर के कर रहे हैं।


प्रशासन के सामने शिकायतकर्ता मजबूर और व्यापारी के सामने प्रशासन मजबूर?


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कलेक्टर के अधीनस्थ नगर निवेश के अधिकारी भी इस व्यापारी के गिरफ्त में आते दिख रहे हैं वह भी राजनीतिक और आधिकारिक दबाव के साथ-साथ धन बल के आगे नत मस्तक हैं एनओसी देने के फिराक में हैं जो पूर्णता नियम विरुद्ध है, अनुमति प्रदान करने की सारी प्रक्रिया में आवेदक के शिकायत को दरकिनार कर लगभग अनुमति जारी करने की सारी तैयारी कर ली गई है, जबकि नियमों के तहत 1944-45 और 1954-55 में बड़े झाड़ का जंगल मद की भूमि पर अनुमति नहीं दिए जाने का प्रावधान है इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्देश दिए हैं इन सब के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इन सभी नियमों और दिशा निर्देशों को दरकिनार करते हुए साा पक्ष के जनप्रतिनिधियों एवं संगठन के पदाधिकारी से लगातार कलेक्टर एवं नगर निवेश के अधिकारियों पर दबाव बनाकर उक्त अवेध कार्य कराए जाने की लगातार कोशिश की जा रही है और ऐसा पता भी चल रहा है पेट्रोल पंप संचालक सफल भी होता दिख रहा है लेकिन एनओसी देने वाले अधिकारियों को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि शिकायतकर्ता के द्वारा लगातार उक्त भूमि पर जो भी खामियां हैं शिकायत और आपçायां दर्ज कराई जाती रही हैं यदि अधिकारी आंख बंद कर उसको एनओसी देते हैं तो अवेध पेट्रोल पंप संचालक के विरुद्ध शिकायतकर्ता मजबूरन न्यायालय के शरण में जाकर गुहार लगाएगा…जिसमें नियम विरुद्ध कार्य करने वाले अधिकारी भी लपेटे में आएंगे और हो सकता है उन्हें न्यायालय के समक्ष दंडित भी किया जा सकता है इसलिए अधिकारियों को भी सोच समझकर उक्त बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि पर एनओसी प्रदान करने की जह मत नहीं उठानी चाहिए।

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