छत्तीसगढ़ Surajpur

प्रतापपुर ब्लॉक के वन परिक्षेत्र घूई में बड़े-बड़े हरे भरे पेड़ों की अवैध कटा , विभाग की लापरवाही से हो रही जंगलों की तबाही ई की जंगलों में मची होड़

by admin on | Nov 10, 2024 06:23 PM

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प्रतापपुर ब्लॉक के वन परिक्षेत्र घूई में बड़े-बड़े हरे भरे पेड़ों की अवैध कटा , विभाग की लापरवाही से हो रही जंगलों की तबाही ई की जंगलों में मची होड़

सूरजपुर :- प्रतापपुर ब्लॉक के वन परिक्षेत्र घूई में इन दिनों बड़े पैमाने पर अवैध वन संपत्ति की कटाई की घटनाएँ सामने आ रही हैं। रेंज के अंतर्गत आने वाले ग्राम रमकोला, भेलकच्छ-कोड़ाकू पारा, धुरिया चीतल माड़ा समेत कई अन्य स्थानों पर बड़े-बड़े हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि अब अवैध कब्जाधारी खुलेआम जंगलों में घुसकर पेड़ों की कटाई कर रहे हैं, जबकि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस पर कोई ठोस कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। क्षेत्रवासीयों ने बताया कि जब से यहां नए रेंजर की पदस्थापना हुई है तब से तेजी से जंगलों की अवैध कटाई जारी है।

विभाग की लापरवाही से हो रही जंगलों की तबाही

सूत्रों के मुताबिक, घूई रेंज के जंगलों में इन दिनों अवैध कब्जा करने वालों के हौसले बढ़ गए हैं। खासकर, ग्राम रमकोला और आसपास के क्षेत्रों में बड़े पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। जंगल के मेन रोड के किनारे खड़े हरे-भरे पेड़ अब कटकर गिर रहे हैं, जबकि वन विभाग के कर्मचारी फील्ड में न के बराबर दिखाई दे रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब नई रेंजर के आने के बाद प्रशासन ने कई नए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन विभाग की नाकामी के कारण इस क्षेत्र में अवैध गतिविधियाँ पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा इस मामले में आंख मूंदने के कारण अवैध कब्जाधारी बेकाबू हो गए हैं। कुछ इलाकों में तो पेड़ों की कटाई के बाद लकड़ी को खुलेआम सड़क किनारे बेचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचने के बजाय आराम से घर बैठकर अपनी तनख्वाह ले रहे हैं, जिससे जंगलों के विनाश की प्रक्रिया और तेज हो गई है।

सरकार और विभाग में आला अधिकारियों को सख्त कदम उठाने की जरूरत

स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े संगठनों का कहना है कि अगर जल्दी ही वन विभाग और सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो यह जंगल जल्दी ही उजाड़ने का शिकार हो जाएंगे। अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और कब्जाधारी के बढ़ते मामले यह साबित कर रहे हैं कि विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से नाकाम है। जंगलों का यह विनाश न केवल पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि क्षेत्र की जैव विविधता के लिए भी गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है।

निदान की उम्मीद

इस समय, वन विभाग और राज्य सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वे तत्काल प्रभाव से घूई रेंज के जंगलों में हो रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। इसके तहत न केवल अवैध कब्जाधारी और कटाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, बल्कि घूई रेंज में नियमित रूप से गश्त और निगरानी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके साथ ही, विभाग को इस बात की जवाबदेही तय करनी होगी कि क्यों उनके कर्मचारियों की लापरवाही से इस क्षेत्र में वन संपत्ति का नुकसान हो रहा है। अब यह देखना होगा कि विभाग इन गतिविधियों पर कब रोक लगाता है और कब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कार्रवाई करता है।

इस विषय में एसडीओ फॉरेस्ट आशुतोष भगत ने कहा कि मौके पर वन हमला भेज कर जांच कार्यवाही की जाएगी इतनी बड़ी लापरवाही तथा वनों की कटाई पर कड़ी कार्रवाई होना सुनिश्चित है। तथा इस मामले को जांच कर कल डीएफओ सूरजपुर के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।

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