by admin on | Nov 12, 2024 07:01 PM
मनेंद्रगढ़:- छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में कोतवाली पुलिस ने 22 एकड़ भूमि को फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेच दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद मामले में तत्कालीन तहसीलदार सहित आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया गया है। उक्त भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने के बाद भी तत्कालीन तहसीलदार सहित आरआई और अन्य ने बिना किसी आदेश के निजी नाम पर दर्ज कर दिया। साथ ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन बेच दी गई।
जानकारी के मुताबिक, मनेन्द्रगढ के पटवारी हलका नंबर 14 में राजस्व भूमि खसरा नंबर 198/1 रकबा 22 एकड़ का शासकीय पट्टा मूलचंद लंहगीर को मिला था। मूलचंद की मृत्यु के बाद उनके बेटे ज्ञानचंद वैश्य, वृंदावन वैश्य और सेवाराम के नाम राजस्व अभिलेख में जमीन दर्ज की गई। उक्त भूमि को राजेश पुरी ने ज्ञानचंद वैश्य, बृंदावन वैश्य और सेवाराम वैश्य से बिना कलेक्टर की अनुमति के भूमि क्रय कर ली।
अपर कलेक्टर ने निरस्त किया था ब्रिकीनामा
अपर कलेक्टर मनेन्द्रगढ़ के समक्ष ज्ञानचंद वैश्य व वृंदावन वैश्य के बेटों ने इसकी शिकायत की तो न्यायालय अपर कलेक्टर ने राजस्व प्रकरण में दिनांक 29 अप्रैल 2021 को बिक्री का पंजीयन निरस्त कर दिया और भूमि शासन के पक्ष में उक्त भूमि दर्ज करने का आदेश दिया।
उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों में 08 अक्टूबर 21 को सुधार कर दर्ज कर दी गई। राजेश पुरी और परिवादी ने अपर कलेक्टर के आदेश के खिलाफ अपील की। जिसे अपर कमिश्नर अंबिकापुर ने निरस्त कर दिया। इसके बाद इस मामले में राजस्व मंडल और उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई थी। उच्च न्यायालय ने कमिश्नर न्यायालय में लंबित अपील को स्थगित कर दिया था।
अपील लंबित रहने के दौरान बिक्री
प्रकरण की अपील लंबित रहने के दौरान राजेश पुरी और पटवारी सुरेन्द्र पाल सिंह, राजस्व निरीक्षक संदीप सिंह ने फर्जी दस्तावेज एवं झूठा प्रतिवेदन तैयार करके भूमि की बिक्री के लिए दस्तावेज तैयार किया।
राजेश पुरी, तत्कालीन पटवारी अनुराग गुप्ता, और तत्कालीन तहसीलदार बजरंग साहू ने हाईकोर्ट में याचिका लंबित रहते हुए बिना किसी आदेश के राजस्व अभिलेखों में दिनांक 07.12.21 को सुधार कर शासकीय भूमि को फिर से राजेश पुरी के नाम दर्ज कर दिया। उक्त जमीन कई लोगों को 12.07.23 को बेच दी गई।
पांच के खिलाफ दर्ज हुआ अपर
मामले में न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार बजरंग साहू, आरआर आई संदीप सिंह, पटवारी अनुराग गुप्ता, पटवारी सुरेन्द्रपाल सिंह, राजेश पुरी के खिलाफ धारा 420,467,468,471 के तहत अपराध दर्ज किया है। कर दिया। साथ ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन बेच दी गई।
जानकारी के मुताबिक, मनेन्द्रगढ के पटवारी हलका नंबर 14 में राजस्व भूमि खसरा नंबर 198/1 रकबा 22 एकड़ का शासकीय पट्टा मूलचंद लंहगीर को मिला था। मूलचंद की मृत्यु के बाद उनके बेटे ज्ञानचंद वैश्य, वृंदावन वैश्य और सेवाराम के नाम राजस्व अभिलेख में जमीन दर्ज की गई। उक्त भूमि को राजेश पुरी ने ज्ञानचंद वैश्य, बृंदावन वैश्य और सेवाराम वैश्य से बिना कलेक्टर की अनुमति के भूमि क्रय कर ली।
अपर कलेक्टर ने निरस्त किया था ब्रिकीनामा
अपर कलेक्टर मनेन्द्रगढ़ के समक्ष ज्ञानचंद वैश्य व वृंदावन वैश्य के बेटों ने इसकी शिकायत की तो न्यायालय अपर कलेक्टर ने राजस्व प्रकरण में दिनांक 29 अप्रैल 2021 को बिक्री का पंजीयन निरस्त कर दिया और भूमि शासन के पक्ष में उक्त भूमि दर्ज करने का आदेश दिया।
उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों में 08 अक्टूबर 21 को सुधार कर दर्ज कर दी गई। राजेश पुरी और परिवादी ने अपर कलेक्टर के आदेश के खिलाफ अपील की। जिसे अपर कमिश्नर अंबिकापुर ने निरस्त कर दिया। इसके बाद इस मामले में राजस्व मंडल और उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई थी। उच्च न्यायालय ने कमिश्नर न्यायालय में लंबित अपील को स्थगित कर दिया था।
अपील लंबित रहने के दौरान बिक्री
प्रकरण की अपील लंबित रहने के दौरान राजेश पुरी और पटवारी सुरेन्द्र पाल सिंह, राजस्व निरीक्षक संदीप सिंह ने फर्जी दस्तावेज एवं झूठा प्रतिवेदन तैयार करके भूमि की बिक्री के लिए दस्तावेज तैयार किया।
राजेश पुरी, तत्कालीन पटवारी अनुराग गुप्ता, और तत्कालीन तहसीलदार बजरंग साहू ने हाईकोर्ट में याचिका लंबित रहते हुए बिना किसी आदेश के राजस्व अभिलेखों में दिनांक 07.12.21 को सुधार कर शासकीय भूमि को फिर से राजेश पुरी के नाम दर्ज कर दिया। उक्त जमीन कई लोगों को 12.07.23 को बेच दी गई।
पांच के खिलाफ दर्ज हुआ अपराध
मामले में न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार बजरंग साहू, आरआर आई संदीप सिंह, पटवारी अनुराग गुप्ता, पटवारी सुरेन्द्रपाल सिंह, राजेश पुरी के खिलाफ धारा 420,467,468,471 के तहत अपराध दर्ज किया है।