by admin on | Mar 18, 2025 01:25 PM
रायपुर-: समग्र शिक्षा के तहत व्यावसायिक शिक्षा योजना को अफसरों की मनमानी और नियमों की अनदेखी ने कठघरे में खड़ा कर दिया है। एनजीओ और निजी कंपनियों को मनमाने ढंग से काम सौंपने का मामला उजागर हुआ है, जिसमें न निविदा निकाली गई, न कोई प्रक्रिया अपनाई गई।
गुरुग्राम की ‘स्किल ट्री’ और मुंबई की ‘इंडस एडुट्रेन’ कंपनियों को 121 स्कूलों में प्रशिक्षक नियुक्ति का ठेका सौंप दिया गया। जबकि नियमानुसार भर्ती करने के तर्क पर पूरे शिक्षा सत्र में 652 नए स्कूलों में प्रशिक्षकों की भर्ती टाल दी गई।
यह खुलासा होने के बाद अफसरों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। चर्चा है कि दोनों कंपनियों के तार किसी एक व्यक्ति से जुड़े हैं। अब शिकायत आने के बाद अफसर कंपनियों के काम को ये कहकर निरस्त करने की तैयारी कर रहे हैं, इन्हें नियमानुसार काम नहीं बांटा गया है।
जबकि कंपनियों को तीन साल के लिए कार्यादेश सौंपा गया है। इसके पहले कांग्रेस सरकार में भी 13 स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने के नाम पर एक निजी कंपनी को सवा करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इस मामले में तत्कालीन शिक्षा सचिव और समग्र शिक्षा के संचालक भी भूमिका संदिग्ध रही है।
मामले की जांच अभी तक लंबित है। इसी तरह बिना अनुबंध बढ़ाए व्यावसायिक शिक्षा काम पिछली सरकार में भी बांटा गया था। इसकी जांच अभी तक फाइलों में कैद है।
अभी ये कंपनियां कर रही हैं काम
व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई के लिए प्रदेश में अभी आईसेक्ट भोपाल, सेंटम नई दिल्ली, ग्राम तरंग भुवनेश्वर, लर्नेट स्किल नई दिल्ली, इंडस एडुट्रेन मुंबई, लक्ष्य जाब स्किल बेंगलुरु और स्किल ट्री गुरुग्राम कंपनी काम कर रही हैं।
नए स्कूलों में पाठ्यक्रम शुरू, लेकिन प्रशिक्षक नहीं
समग्र शिक्षा विभाग ने इस साल 652 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत की। यहां के स्कूलों के लिए लैब-लाइब्रेरी आदि की व्यवस्था की गई, मगर प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। इस साल अपेरल, ऑटोमोटिव, बैंकिंग, कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर, आईटी, प्लबिंग, पावर और रिटेल ट्रेड शुरू किए गए हैं।
नई शिक्षा नीति का लक्ष्य खतरे में
केंद्र सरकार ने 2025 तक 50% स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम लागू करने का लक्ष्य रखा है। मगर, जिस तरह यह योजना अफसरों की लापरवाही और लेन-देन के खेल में फंस रही है, उसे देखते हुए लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
सीएम ने दिए थे एनजीओ की जांच के आदेश
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कुछ दिन पहले प्रदेश में विदेशी फंडिंग प्राप्त एनजीओ की जांच के निर्देश दिए थे। अधिकारी कह रहे हैं कि कार्रवाई होगी, मगर सवाल यह है कि दोषियों पर कब तक और कितनी सख्त कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी बीते घोटालों की तरह धूल फांकता रहेगा?
जानकारों का कहना है कि इस मामले की थर्ड पार्टी से जांच कराने से मामला उजागर हो सकेगा। समग्र शिक्षा (व्यावसायिक शिक्षा) के उपसंचालक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि जिन कंपनियों को काम दिया गया था, उनका अनुबंध निरस्त किया जा रहा है।